स्लमड़ाग ...जय हो ........जय हो.........! !जय हो...जय हो....के घोष की घण्टाघर की तंग गलियों तक में चर्चा थी कि आखिर माज़रा क्या है...?टी। वी. पर सुबह से ही जय हो का नारा बुलंद है । आखिर जय किसकी.....?इसी गड़बड़ झाले में उलझे जुम्मन मियाँ नेभैय्या जी से पूछ ही लिया ,“ भैय्या जी विदेशी हमला हुआ है क्या....,जो चारों ओर जय हो की गूँज सुबह से ही टी. वी. पर हो रही है...?”भैय्या जी को भी अपने पाँच बार दसवीं फेल होने पर गर्व था,क्योंकि उन्हें मालूम है कि जुम्मन तो नवीं भी पास नहीं कर पाए तो भला दसवीं फेल का सम्मान वो कहाँ पा सकते थे॥। भैय्या जी ने सीना फुलाकर कहा तुम्हें मालूम नहीं है,स्लमड़ाग मिलेनियर को अवार्ड मिला है ।”जुम्मन चाचा ने कौतूहल से पूछा ,“ये ऑस्कर क्या है...?”-“फिल्मों का बहुत बड़ा ईनाम है जो विदेशों में मिलता है..?”-“लेकिन ये स्लमड़ाग मिलेनियर क्या बला है....?”-“फिल्म है और क्या...?तुम्हें मालूम है अँग्रेज़ फिल्म निर्माता ने बनाई है भारतीय फिल्म.... ! इस भारतीय फिल्में गंदी बस्तियों की गंदगी भी किस खूबसूरती से दिखाई है.......कि बस मज़ा आ गया...। फिल्म देखकर लगता है कि जैसे देश के कोने कोने में गंदगी के खूबसूरत ढ़ेर ही ढ़ेर हैं....जैसे हिंदुस्तान न हुआ गंदगी की खान हो गया हो..... ?”जुम्मन चाचा ने सिर खुजाते हुए कहा ,“ वह तो सब ठीक है किंतु स्लमड़ाग का मतलब क्या है....? यह भी कोई नाम हुआ....। जब फिल्म भारतीय ,कलाकार भारतीय तो नाम भी तो भारतीय होता कम से कम.....?स्लमडाग का मतलब मालूम है तुम्हें......?”अब भैय्या जी स्कूल में आते जाते इतनी अंगेजीँ तो सीख ही गये थे, तपाक से बोले ,“स्लम का मतलब है गंदी बस्ती और ड़ाग का मतलब.........”इससे पहले कि भैय्या जी के हलक से कुछ शब्द निकल पाते , जुम्मन चाचा तुरंत बोले,“ मालूम है हमें ड़ाग.....यानि ..कुत्ता.....।लेकिन यह क्या नाम हुआ...गंदी बस्ती का कुत्ता...करोड़पति ।”भैय्या जी ने समझाते हुए कहा कि कुत्ता नहीं... गंदी बस्ती में रहने वाला करोड़पति...। एक एसा बच्चा जो जिंदगी की किताब से इतना कुछ सीख जाता है कि उसके लिए किताबी पढ़ाई भी शून्य हो जाती है ।कौन बनेगा करोड़पति प्रतियोगितामें दो करोड़ जीतकर करोड़पति हो जाता है....।लेकिन जुम्मन चाचा का तर्क ही अलग था बोले वह सब तो ठीक हैभैय्या जी लेकिन फिल्म के नामाकरण में स्लम के साथ ड़ाग ही क्यों जोड़ा तुम्हें मालूम है.....। जुम्मन चाचा के सामने मेरा मुँह भी फटा रह गया बोला अच्छा तुम्ही बताओ...?वो बोले,“ सीधी सी बात है ,फिल्म बनाने वाला अँग्रेज़....,फिल्म में काटछाट करने वाला अँग्रेज़.....,फिल्म का निर्देशक अँग्रेज़......तुम्हें मालूम है अँग्रेज़ पहले भारतीयों को इंडियन ड़ाग कहकर दुतकारते थे ।अब इस फिल्म के माध्यम से एक बार ओर उन्हें गंदी बस्ती का कुत्ता कहने का मौका मिल गया....अब की बार कुत्ता कहकर शान से सम्मानित कर दिया बस......। अँग्रेज़ ज्यूरी खुश......हम भी खुश....पूरा देश ...खुश........चलो एसी बहाने ही सही .....जय हो.......जय हो.......जय हो........ ! !”
डा. योगेन्द्र मणि
-
No comments:
Post a Comment